दुनिया दमक रही है
काले हीरों की चमक से
जड़ें प्यार की सूख गयी हैं
बुझी हुई बर्फीली नज़रों से
चेहरे पर जो ज़िन्दगी का इशारा सा है
वो है उन आंखों की याद से
सीने में अभी भी जो हरक़त है
दोस्त की मुस्कान की गर्मी से
नमस्कार महोदय नमस्कार, जी आप... कौन? पहचाना नहीं मैंने। जी मैं एक दूत हूँ। नदी के तट पर जो धर्मशाला है वहां से आया हूँ। इतनी दूर से? जी कह...