क़ीमत
हर इंसान लगाता है क़ीमत
हर एक चीज़ की
हर इंसान की
इसकी, उसकी, घर की, गाड़ी की
ज़मीन जायदाद की
यहाँ तक दोस्तों की, मां बाप की
भाई बहनों की
घर बार की, देश दुनिया की
दूसरों के विचारों की
उनकी समझ की, समझदारी की
... अपनी भी
माफ़ करें
शायद यहाँ कुछ अटपटा हो गया
उल्टा पल्टा हो गया
जो पहले आना था वो बाद में आया
क़ीमत खुद की
यानि एक ऐसी बेशक़ीमती चीज़ की
जिसका खुद की नज़र में
कोई मोल नहीं हो सकता
खुद पर कोई दाम नहीं लिखा जा सकता
कोई लिखता भी नहीं
अगर किसीने लिखा भी,
तो वो कम या ग़लत होगा
अपनी नज़र में ज़्यादातर लोग
कुछ ज़्यादा ही क़ीमती होते हैं
या यूँ कहिये बेशक़ीमती होते हैं
हालांकि उनके बारे में दूसरों का ख़याल
कुछ दूसरा ही होता है
ठीक वैसे ही जैसे इनका औरों के बारे में
चलिए ये सब अंदर की बात है
हर किसीके के मन की बात है
घर घर की बात है
फिर भी इस दुनिया में
ज़्यादातर लोग अपनी क़ीमत को
अपने दिल ही में छुपाये
अपने साथ लेकर चले जाते हैं
दुनिया को पता ही नहीं चल पाता
कि खुद की नज़र में वो
कितने मंहगे या सस्ते थे
पर 'दोस्त' ज़िन्दगी में शायद ही किसीको
मिलता होगा ऐसा मौक़ा
कि ऐसा कुछ मिल जाये
या कोई मिल जाये
एक ऐसा बेशक़ीमती नगीना
एक हीरा, मोती, या शायद एक सितारा
जिसे पा कर आपकी खुद की क़ीमत
आसमान छू ले
और वो ग़ुम हो जाये
तो आप भी कहीं खो जाएँ
दो कौड़ी के भी न रह जाएँ